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Diabetes Treatment in Ayurveda : देश में बढ़ते जा रहे डायबिटीज के मरीज, आयुर्वेद में इसका ईलाज संभव

मुंबई। (एस.ए.भाटी)Diabetes Treatment in Ayurveda : हम हर रोज अनहेल्दी खानपान और बाहर के जंगफुड पर निर्भर होते जा रहे हैं, वहीं किसी भी तरह का भोजन बिना किसी परहेज और जानकारी के खा रहे है। इन्हीं बेकार खानपान और लाइफस्टाइल में बदलाव के कारण हम गंभीर बिमारियों का शिकार भी होते जा रहे है। जिस और नजर फैलाये वहां डायबिटीज, ब्लड़ प्रेशर, कैंसर के मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं, वहीं भोजन करने का सही समय नहीं होने और लाइफस्टाइल में आ रहे बदलाव के कारण हर घरों में ब्लड़ प्रेशर, डायबिटिज की आम हो गई है, जो कि बड़ी घातक साबित हो रही है। अगर हम बात करें, डायबिटीज की तो भारत में इस बिमारी से ग्रस्ति मरीजों की दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे है।

भारत में डायबिटीज के मरीज की संख्या अन्य देशों से सर्वाधिक

अगर हम बात करें, डायबिटिज की तो भारत के अधिकतर घरों में सुगर के मरीज देखे जा रहे है, डायबिटीज के बढ़ने का एक मुख्य कारण ये भी हैं, कि अनहेल्दी खानपान आम हो गया है। ये ही वजह देखी गई हैं, कि इस बीमारी के मरीजों की संख्या बेहद तेजी से बढ़ने की संभावनाएं पैदा होने लगी है।

Diabetes Treatment in Ayurveda : भारत में डायबिटिज के स्तर की बात करें तो द लैंसेट की एक स्टडी के मुताबिक वर्तमान में 10.1 करोड़ से अधिक लोगों को डायबिटीज है l एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले चार सालों में इस बीमारी के मरीजों में तेजी से उछाल देखा जा रहा है।

डायबिटिज के बढ़ते मरीजों का आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला

शिक्षाविदों और एक्सपर्ट का ये भी मानना हैं, कि दुनिया के हर देश में हर उम्र के लोगों में इस बीमारी का कहर बढ़ना संभावित है, जिसको आसानी से समझा जाएं तो, 2050 तक डायबिटीज से पीडि़त लोगों में बुजुर्गों के साथ-साथ युवा और बच्चे भी शामिल होंगे। एक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2050 तक दुनिया की लगभग एक अरब आबादी (100 करोड़) डायबिटीज की चपेट में आ सकती है। जो कि बेहद चिंताजनक आंकड़े है। डॉक्टर कहते हैं, कि डायबिटीज एक ऐसी बिमारी हैं, जो एक सामान्य मनुष्य को दीमक की तरह शरीर के अंदर से खोखला कर देती है। जिस तरह भारत में देखा जा रहा हैं, कि डायबिटीज की बीमारी भी अपने पांव पसार रही है।

अब डायबिटिज की चपेट में आ रहे युवा और छोटे बच्चें, जो कि बेहद चिंताजनक

आयुर्वेदा एक्सपर्ट ये भी कहते हैं, डायबिटिज में एक समय ऐसा भी रहेगा जिसमें अधेड़ उम्र के लोग, युवा और बच्चे भी शामिल होंगे. डायबिटीज को लेकर यह भविष्यवाणी एक रिसर्च में की गई है. द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी जर्नल में पब्लिश इस रिसर्च में कहा गया है कि साल 2050 तक पूरी दुनिया में ये बीमारी अपने पांव पसार लेगी और आठ में से एक व्यक्ति इस रोग से पीड़ित होगा।
एक्सपर्ट सुगर की समस्या के बारे में ये भी कहते हैं, कि डायबिटीज एक उम्र के लोगों पर ज्यादा असर करती थी, लेकिन वर्तमान में ये परिस्थितयां बिलकुल विपरित हो गई है। आजकल युवाओं और बच्चों में भी ये बीमारियों का तेजी से फैलाव हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ (WHO) ने डायबिटीज से होने वाली मृत्यु के बारे में चौंकाने वाले आंकड़ों की पुष्टि की हैं, जिसमें बताया कि गया हैं, कि डब्ल्यूएचओ (WHO) के तथ्य पत्र के अनुसार हाई ब्लड़ सुगर के कारण अनुमानित 3.4 मिलियन मौतें होती हैं।
डब्ल्यूएचओ (WHO) के अनुसार ये भी अनुमान लगाया गया हैं, कि मधुमेह से होने वाली 80 प्रतिशत मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में ज्यादा होती हैं, और अनुमान ये भी है कि 2030 तक ऐसी मौतें दोगुनी हो जाएंगी। इन चिंताजनक आंकड़ों के बाद केवल बहस और चर्चा के अलावा, मूल बात यह जानना है, कि वास्तव में को किस पद्धति के तहत आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है।

सुगर को लेकर क्या कहते हैं, आयुर्वेदिक एक्सपर्ट, आईये समझते हैं

Diabetes Treatment in Ayurveda : जिस तरह से भारत में डायबिटिज के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं, उससे पहले ये हमारे लिए जानना जरूरी हैं, कि डायबिटीज क्या हैं, और इसके लक्षण और बचाव के उपाय क्या है। बिहार के कटिहार जिले की गोपाल आयुर्वेदिक केन्द्र की आयुर्वेदा एक्सपर्ट डॉ. संगीता कुमारी रॉय के अनुसार मधुमेह जिसे हम डायबिटीज और शुगर भी कहते है। अक्सर ये देखा जाता हैं, कि ये बिमारी पहले हमारे माता-पिता एवं अन्य पूर्वजों में रही हो, उसके कारण भी सुगर नई जनरेशन में आना संभव माना जाता है, जिसे अनुवांशिक (हैरिडिटी) कहते है। डायबिटीज के लक्षण और निदान के बारे में जानना मरीजों के लिए बहुत जरूरी है। ताकि मधुमेह की वक्त पर पहचान हो सके और इसका इलाज भी हो सके।

आयुर्वेदा एक्सपर्ट का कहना है, कि जब शरीर के पैन्क्रियाज में इन्सुलिन की कमी हो जाती है, जिसे आसानी से समझे तो कम मात्रा में शरीर के अंदर इन्सुलिन पहुंचता है, तो खून में ग्लूकोज की मात्रा भी ज्यादा हो जाती है। इसी स्थिति में डायबिटीज पैदा होता हैं। डॉ. संगीता के अनुसार इन्सुलिन एक तरह का हार्माेन होता है, जो शरीर के भीतर पाचन ग्रंथि से बनता है। इसका काम भोजन को ऊर्जा में बदलना होता है। इस समय इस बात की जानकारी बेहद जरूरी हो जाती हैं, कि सुगर के मरीज कब और क्या खा रहे हैं। इससे ब्लड शुगर का लेवल नियंत्रित रहता है।

इन लक्षणों के दिखाई देने पर सुगर होने की संभावना

डॉ. संगीता के अनुसार अगर एक सामान्य व्यक्ति को सुगर होती है, तो एक व्यक्ति को अधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब का आना, सर्वाधिक भूख का लगना, वजन का कम होना मुख्य कारण है। मधुमेह के मरीज का मीठा खाने का अधिक मन करता है, तो ऐसे में परिवार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह मीठा ना खाए. इसके साथ ही जीवन शैली का भी पूरी तरह ध्यान रखना चाहिए।

डायबिटीज के कई रूप, इस तरह दिखाई देते हैं लक्षण

डॉ. संगीता रॉय बताती हैं, कि अगर सुगर ज्यादा हो जाती है, तो ये लक्षण भी दिखाई देते है, जिसमें मरीज का बेहोस हो जाना, दौरे का पड़ना, व्यवहार में बदलाव का आना मुख्य है। सुगर का स्तर उन मरीजों में कम देखा जाता है, जो आमतौर पर डायबिटीज के टाइप-1 और टाइप-2 से जूझ रहे होते हैं। हालांकि इस बीमारी के अधिकतर मामले हल्के और सामान्य ही होते है, ये कैश इमरजेंसी वाले नहीं होते है।

डॉक्टर के अनुसार डायबिटीज के इलाज के जरिये खून में मौजूद शुगर के लेवल को कंट्रोल किया जाता है। ताकि इससे होने वाली जटिलताओं को रोका जा सके। वहीं डायबिटीज टाइप-1 और टाइप-2 में ना केवल खाने से जुड़ी जानकारी का ध्यान रखना होता है, बल्कि इस बात पर भी जोर देना चाहिए कि खाना कब और कितना खाना चाहिए। डायबिटीज के टाइप-2 से बचाव के लिए शारीरिक गतिविधियों का करना बेहद जरूरी होता है। इससे मधुमेह कंट्रोल में रहता है। इसके साथ ही हृदय रोग और ब्लड शुगर से जुड़ी जटिलताओं को भी रोकने में मदद मिलती है।

खराब जीवन शैली के कारण भी होती हैं, डायबिटीज

डॉ. रॉय का कहना हैं, कि सुगर अनुवाशिंक होने के साथ-साथ खराब जीवनशैली के कारण भी होती है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को खाने-पीने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इसका मुख्य कारण ये है, कि मधुमेह के मरीज का ब्लड शुगर लेवल ना तो सामान्य से अधिक होना ठीक रहता है, और ना ही सामान्य से कम होना ठीक रहता है।

सुगर होने के दौरान इसकी जांच कर लेवल के बारे में जानना जरूरी होता है। ऐसे में इसकी जांच कर लेवल का पता करते रहना चाहिए । अगर मधुमेह का लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाए या फिर बहुत ज्यादा कम हो जाए, तो दोनों ही स्थिति में मरीज की सेहत पर खतरा मंडराता है। ये दोनों ही स्थितियां जानलेवा मानी जाती हैं।

Diabetes Treatment in Ayurveda : इन आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की मदद से करें सुगर को कंट्रोल

करावेल्लका में एंटी डायबिटिक्स प्रोपर्टिज: एक सामान्य व्यक्ति को डायबिटीज होने पर उसे कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता हैं, लेकिन आयुर्वेदिक नुस्खे और जड़ी-बूटियों की मदद से सुगर को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। अगर बात करें हम करावेल्लका की तो ये डायबिटीज में बेहद फायदेमंद साबित होता है।

डॉ. रॉय ने बताया कि करावेल्लका में एंटी डायबिटिक्स प्रोपर्टिज पाई जाती हैं. इसमें मौजूद चरनटीन से खून में ग्लूकोज का लेवल कम होता है. इसी के साथ इसमें पॉलीपेप्टाइड – पी या पी – इंसुलिन भी पाया जाता है, जो प्राकृतिक तरीके से डायबिटीज को कंट्रोल करता है।

करावेल्लका में एंटी डायबिटिक्स प्रोपर्टिज पाई जाती हैं. इसमें मौजूद चरनटीन से खून में ग्लूकोज का लेवल कम होता है। करावेल्लका में पॉलीपेप्टाइड – पी या पी – इंसुलिन भी पाया जाता है, जो प्राकृतिक तरीके से डायबिटीज को कंट्रोल करता है।

Diabetes Treatment in Ayurveda : रोजाना खाली पेट गुड़मार की पतियों को चबायें

आयुर्वेद में गुड़मार एक ऐसी जड़ी-बूटियों में से एक है, जिसकी पत्तियों के सेवन करने से एक घंटे तक मिठास का स्वाद खत्म हो जाता है। डायबिटिज के मरीज को रोजाना खाली पेट गुड़मार की पत्तियों को चबाकर एक गिलास पानी पिना चाहिए, इससे न केवल शुगर लेवल कम होता है, बल्कि दिनभर शुगर लेवल बढ़ता भी नहीं है। आयुर्वेदा एक्सपर्ट कहते हैं, कि गुड़मार औषधी भारत के अनेकों हिस्सों में पाई जाती है, जिसमें मुख्य रूप से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्य शामिल है। एक रिसर्च के मुताबिक में गुड़मार के फायदे बताएं गये हैं, जिसमें गुड़मार के पत्ते में एंटी-डायबिटिक के गुण पाए जाते हैं। यह न केवल मधुमेह बल्कि कई अन्य बीमारियों के लिए भी फायदेमंद साबित होता है।

मैथी के दानों में अमीनो एसिड, जो सुगर के स्तर को घटाएं

Diabetes Treatment in Ayurveda : भारत के हर घर में मेथी कहीं ना कहीं किसी रूप में काम में ली जाती है, लेकिन अक्सर लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है, कि किचन में रहने वाली मैथी से सुगर को आसानी से दूर किया जा सकता है। आयुर्वेदा एक्सपर्ट के मुताबिक मेथी एक ऐसा मसाला है, जिसे खाने के स्वाद को बढ़ाने के अलावा सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद माना जाता है. मेथी के सेवन से डायबिटीज की समस्या को कंट्रोल कर सकते हैं. डायबिटीज आज के समय की एक गंभीर समस्या में से एक है. डायबिटीज के मरीज रोजाना मेथी (Methi For Health) का सेवन कर ब्लड शुगर लेवल को भी कंट्रोल में रख सकते है।

मेथी में प्रोबायोटिक्स गुण होते हैं. इसका सेवन शरीर में गुड कोलेस्ट्राल को बढ़ाता है, और बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकता है. मेथी के दानों में अमीनो एसिड होता है. अमीनो एसिड खून में मौजूद शुगर को तोड़ने और उसका स्तर घटाने में मदद करता है. ये ब्लड में इंसुलिन की मात्रा को भी बढ़ाता है, जिससे डायबिटीज के मरीजों को बेहद फायदा मिलता है।

मेथी चबाकर खाना – अगर आप मेथी को चबाकर खा सकते हैं, तो ये और भी बढि़या है, डायबिटीज के मरीज सुबह खाली पेट मेथी के दानें को चबाकर खाएं, और फिर उसके उपर पानी पीये, इससे ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।

नीम की पत्तियों में तिक्त और कषाय रस, जो ब्लड़ सुगर करें कम

Diabetes Treatment in Ayurveda : आयुर्वेदिक कई ऐसे हर्ब हैं, जिससे डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता हैं, उसमें एक नीम हैं, देखा जाएं तो डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए बेहद सिंपल डाइट और दवाओं का सहारा लेना पड़ता है, लेकिन कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे भी बेहद कारगर साबित हो सकते हैं. नीम के पत्तों को शुगर कंट्रोल करने में बेहद असरदार माना जाता है।

आयुर्वेदिक डॉक्टर्स के अनुसार नीम के पत्तों में कई औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर को कई तरीकों से फायदा पहुंचाते हैं. डायबिटीज के मरीजों के लिए भी नीम के पत्ते खाना फायदेमंद माना जाता है. आयुर्वेद के मुताबिक नीम की पत्तियों में तिक्त और कषाय रस पाया होता है, जो शरीर के अंदर पहुंचकर मधुर रस यानी ब्लड शुगर को कम करता है, नीम की पत्तियों में कई फ्लेवोनोइड्स समेत कई अन्य तत्व होते हैं, जो पैंक्रियाज को स्टिम्युलेट करते हैं, इससे ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिलती है. नीम की पत्तियों का सेवन करने से त्वचा रोग से भी राहत पाई जा सकती है।

मधुमेह मरीजों के लिए गुडुची – गिलोय का रस वरदान

Diabetes Treatment in Ayurveda : आयुर्वेद में गुडुची जिसे गिलोय भी कहा जाता हैं, इसके साथ ही गिलोय को अमृत तुल्य वनस्पति भी माना जाता है। ये एक ऐसा चमत्कारी पौधा माना जाता है, कि जिसमें सभी तरह के मर्ज की दवा साबित होती है। आयुर्वेद के एक्सपर्ट कहते हैं, कि गिलोय मानव जीवन को हर तरह के रोगों से छुटकारा दिलाकर रोगमुक्त करता है।

आयुर्वेदिक के दृष्टिकोण अनुसार गुडुची – गिलोय के बारे में बात करें, तो ये सभी तरह के रोगों को दूर करने में सबसे उत्तम औषधि के रूप में गिनी जाती है। यह सामान्य मनुष्य के हर प्रकार के रोगों से लड़ने कि ताकत रखती है। गिलोय की एक सबसे अच्छी खासियत ये है, कि यह जिस भी पेड़ पर चढ़ जाती है, उसके गुण को अपने भीतर चढ़ा लेती है। नीम पर चढ़ी हुई गिलोय सबसे उत्तम मानी जाती है।

डायबिटीज में गिलोय के फायदे – आयुर्वेेदा एक्सपर्ट ये कहते हैं, कि जिन लोगों को डायबिटीज की बीमारी है, उन्हें गिलोय के रस का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। डायबिटीज के मरीजों के लिए यह वरदान है। ऐसे लोगों को हाथ की छोटी उंगली के बराबर (एक बलिस्त) गिलोय के तने का रस और बेल के एक पत्ते के साथ थोड़ी सी हल्दी मिलाकर एक चम्मच रस का रोजाना सेवन करना चाहिए। इससे डायबिटीज की समस्या को काफी हद तक कंट्रोल में लाया जा सकता है।

इन सब आयुर्वेदिक औषधियों से भरपूर SUGAGEN CAPSULE, जो कंट्रोल करें आपकी डायबिटीज

डॉ. संगीता रॉय कहती हैं, कि आयुर्वेदिक कई जड़ी-बूटियों के नियमित ईस्तेमाल से डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। कई आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां जिसको उल्लेखित किया गया हैं, जिसमें करावेल्लका, गुड़मार, मैथी, नीम, गुडुची-गिलोय मुख्य हैं, इन सब अहम आयुर्वेदिक औषधियों के समावेश से सुगाजैन कैप्सूल बनाया गया हैं, जो कि सम्पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक औषधियों से बनाया गया है।

Rajasthan Aushdhalay Pvt. Ltd. (आरएपीएल ग्रुप) की SUGAGEN CAPSULE के बारे में आयुर्वेदा एक्सपर्ट डॉ. रॉय ने बताया कि प्रैक्टिस के दौरान काफी डायबिटीज के मरीजों को SUGAGEN CAPSULE ईस्तेमाल करने के लिये दिया गया, जिस से मरीजों को सुगर कंट्रोल करने में काफी फायदा मिला है।

कई पैसेंट पर ईस्तेमाल किया SUGAGEN CAPSULE, परिणाम बेहद असरकारक

डॉ. रॉय ने बताया कि पैसेंट के फीडबैक अनुसार सुगाजैन कैप्सूल डायबिटीज से लड़ने में मदद कर रहा हैं, इसके नियमित ईस्तेमाल से सुगर कंट्रोल में भी काफी फर्क पड़ा है। डॉ. कहती हैं, सुगाजैन कैप्सूल में जिस तरह से आयुर्वेदिक औषधियों का समावेश किया गया हैं, उसी का नतीजा रहा हैं, कि मरीजों को इस मेडिसिन से फायदा पहुंच रहा है।

अगर बात करें सुगाजैन में ईस्तेमाल की गई आयुर्वेदिक औषधी की तो गुड़मार की पत्तियों का भी समावेश इस प्रोडक्ट में हुआ हैं, जिससे एक सामान्य व्यक्ति का शुगर लेवल कम होता है। वहीं आयुर्वेदिक औषधी करावेल्लका का भी इस कैप्सूल में ईस्तेमाल किया गया हैं। एक्सपर्ट कहते हैं, कि करावेल्लका में एंटी डायबिटिक्स प्रोपर्टिज होती हैं. जिससे खून में ग्लूकोज का लेवल कम होता है। इसी तरह मैथी, नीम, गुडुची- गिलोय का भी सुगाजैन कैप्सूल के निर्माण में उपयोग किया गया है, जिससे डायबिटीज से छुटकारा पाने के लिए आसानी रहती है।

नोट – इस लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी भी तरह का दावा नहीं किया गया है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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  • Mr. Sajid Bhati currently works at Rajasthan Aushadhalaya Pvt. Ltd. as a Public Relations Officer and Health Journalist. During his ten-year career, he has contributed to the company's mission of Addiction Free India and Disease Free India through writing and promotion. Spreading the great work of Rajasthan Aushadhalaya throughout India through passionate media coverage of all free medical health check-up camps held in villages, districts, and cities. He has a postgraduate degree in arts and journalism, as well as extensive understanding of digital marketing. His areas of expertise in writing include Ayurveda, Health, and related subjects. He promotes awareness of ayurvedic treatments and medicines by sharing his deep understanding and knowledge of Ayurveda through seminars, workshops, and other activities.

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Sajid Bhati (P.R.O)

As a dedicated Public Relation Officer of Rajasthan Aushdhalaya, With a deep understanding of the ancient texts and principles that guide this practice, I have helped countless patients achieve optimal health and wellness. My expertise in herbal remedies, massage techniques, and dietary recommendations has been honed over years of study and practical experience, and I am committed to sharing this knowledge with others. In addition to my work as a pro, I am also passionate about community outreach and education. Through seminars, workshops, and other events, I strive to promote awareness of the benefits of Ayurvedic medicine and help people incorporate these practices into their daily lives. I am proud to be part of the Rajasthan Aushdhalaya team, and look forward to continuing to serve our patients and community with excellence and compassion.

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