मुंबई। (एस.ए.भाटी) Ayurvedic Herb – कुटज, जो सोराइसिस जैसी तकलीफ को दूर करने में करें मदद – आयुर्वेद भारत ही नहीं बल्कि विश्व की सबसे मजबूत और असरकारक पद्धति मानी जाती हैं, जिसमें हजारों की तादाद में हर मर्ज का ईलाज करने के लिए जड़ी-बूटियां उपलब्ध है। जहां तक देखा गया हैं, कोई भी इस तरह की समस्या नहीं हैं, जिसका ईलाज आयुर्वेदिक पद्धति में ना हो। हर संभव बिमारी को आयुर्वेदिक पद्धति से दूर किया जा सकता है।
आयुर्वेदिक शास्त्रों में कई तरह की जड़ी-बूटियां हैं, जो अलग-अलग रूप में किसी विशेष बिमारियों को दूर करने में सक्षम साबित हुई है। आज हम ऐसी ही आयुर्वेदिक जड़ी बुटी कुटज के बारे में जानेंगे, जिसके इस्तेमाल से सोरायसीस से संबंधित समस्याओं सहित खराश, खुजली और जलन में राहत देता हैं, वहीं इंफेक्शन के इलाज में फायदेमंद होती हैं, इसके साथ ही दस्त, रक्तस्रावी बवासीर में कुटज बेहद उपयोगी है।
Ayurvedic Herb – कुटज – शास्त्रों और आयुर्वेद एक्सपर्ट के अनुसार कुटज एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका इस्तेमाल आयुर्वेद में बहुत से रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। जानकारी के मुताबिक यह भारत के पर्णपाती वनों में 1000 मीटर तक की ऊंचाई पर पाया जाता है। आयुर्वेदा के तहत कुटज को करची, कुरची, कोनेस्स ट्री, कुटजा, दूधी, इंद्र जौ और वत्सक के नाम से भी पहचाना जाता है। यह पौधा एशिया और अफ्रीका के ट्रॉपिकल और सबट्रॉपिकल क्षेत्रों में सर्वाधिक पाया जाता है। अगर बात करें, भारत की तो ये विशेषकर हिमालय पर्वतमाला में होता है। भारत में पौराणिक समय से इसका इस्तेमाल कई रोगों के इलाज के तौर पर किया जाता है।
आयुर्वेदा एक्सपर्ट कहते हैं, कि कुटज के पौधे की छाल, बीज और फलों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवा बनाने के लिए होता हैं, लेकिन कई शोधकर्ता ये भी बताते हैं, कि कुटज का फल स्वाद में बेहद कड़वा होता है, परंतु ये कई बिमारियों को जड़ से खत्म करने में लाभदायिक साबित होता हैं, जैसे सोरायसीस से सबंधित लक्षणों को दूर करना, त्वचा रोगों, बुखार, हर्पिस, एब्डोमिनल कोलिक पेन, पाइल्स और थकान को दूर करने में बेहद लाभदायिक होता है। आयुर्वेदिक डॉक्टर के अनुसार वहीं इसके तने का प्रयोग ब्लीडिंग डिसऑर्डर, अपच, स्किन प्रॉब्लम्स, हृदय रोग और गाउट के लिए भी किया जाता है।
इस तरह काम करता है कुटज – आयुर्वेदिक एक्सपर्ट बताते हैं, कि कुटज में एंटीडिसेंट्री, एंटीडायरियल और एंटी-एमोबिक प्रॉपर्टीज होती हैं। यह जड़ी बूटी हायपोटेंसिव, एंटीप्रोटोझोअल, हायपोग्लायसेमिक, एंटीस्पास्मोडिक, एंटीफंगल और एंटीकैंसर गुणों से भरपूर होती है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है।
Ayurvedic Herb – कुटज का उपयोग खुजली और जलन, खराश, सोरायसीस से संबंधित लक्ष्णों, दस्त से लेकर घुटनों के दर्द के इलाज के लिए किया जा रहा है। अगर देखा जाएं, तो हर मर्ज का रामबाण ईलाज छुपा हैं, इस औषधी के अंदर जिसके उपयोग से बड़े से बड़े मर्ज को दूर किया जा सकता है। पिडि़त व्यक्ति कुटज औषधी का इस्तेमाल कर रोगों को ठीक कर सकते हैं। आयुर्वेदिक शोधकर्ता के अनुसार कुटज को डायबिटीज में भी फायदेमंद बताया गया हैं, क्योंकि इसमें एंटीडायबिटिक प्रॉपर्टिज होती हैं। कुटज पाउडर रक्त शर्करा, कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड, यूरिया, क्रिएटिनिन और यूरिक एसिड के स्तर को कम करने के लिए भी बेहद की कारगर साबित होता है।
छतीसगढ़ दुर्ग भिलाई कोहका में पिछले 8 वर्षो से प्रेक्ट्सि कर रहे आयुर्वेदा एक्सपर्ट बीएएमएस डॉ. मनीष बंजारे का कहना हैं, कि कुटज के आयुर्वेद में अनेकों फायदे हैं, उसी में ही कुटज स्किन के लिए भी लाभदायक हैं, इसमें कई ऐसे रसायन होते हैं, जो त्वचा के लिए वरदान समान होते हैं। कुटज हर्ब में हीलिंग प्रापर्टिज होती हैं, जिस कारण जख्मों पर इस हर्ब के पेस्ट को लगाया जाता है। कई हीलिंग ओइंटमेंट में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
जानकारी के अनुसार इसमें क्वर्कर्टिन नामक पदार्थ होता है, जो कार्बाेहाइड्रेट को अवशोषित होने से रोकता है। कुटज शरीर में ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन को कम करता है, जिससे यह टाइप 2 डायबिटिज के मरीज के लिए भी बेहद फायदेमंद साबित होता है।
सोरायसीस, खराश और खुजली में असरकार – कुटज को आयुर्वेद में अनेकों बिमारियों के लिए उपयोग में लिया जाता हैं, लेकिन सोराइसीस से संबंधित बिमारियों में ये बेहद असरकारक होता है। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट कहते हैं, कि ऐसी त्वचा की कोशिकाएं जिसमें चकत्ते और खुजली का आना, सूखी पपडि़यों का पैदा होना, त्वचा पर लाल चकत्ते का पैदा होना हैं, इसके साथ ही संक्रमण, तनाव, और ठंड के कारण अनेकों त्वचा पर होने वाली बिमारियों से छुटकारा पाने के लिए कुटज का ईस्तेमाल किया जाता है, जो कि बेहद की असरकार आयुर्वेदिक औषधी है।
डायजेशन में मददगार – Ayurvedic Herb – कुटज डायजेशन को दुरुस्त रखता है, कुटज के फूल में कई ऐसे गुण पाये जाते हैं जो डायजेशन में सुधार करने के साथ डायरिया के इलाज में भी कारगर है। यह पेट के कीड़ों से भी निजात दिलाता है। इसके फूल स्वाद में कड़वे होते हैं, और खून को साफ करने का काम करते हैं।
दर्द से राहत दे – आयुर्वेदिक एक्सपर्ट ये भी कहते हैं, कि कुटज जोड़ों के दर्द में राहत देता हैं, जोड़ों की सूजन को दूर करने और दर्द में राहत प्रदान करता है। यही कारण है कि इसे जोड़ों के इलाज के लिए बेहद उपयोगी माना जाता है।
दांत के दर्द को दूर करें – कुटज का इस्तेमाल दांत दर्द से राहत पाने के लिए भी किया जा सकता है। इसके लिए कुटज के छाल का काढ़ा बनाकर उससे कुल्ला करने से काफी फायदा मिलता है।
खूनी बवासीर में मददगार – डॉक्टर के अनुसार खूनी बवासीर में कुटज के सेवन से फायदा मिल सकता है। इसके लिए 10 ग्राम कुटज की छाल के चूर्ण में दो चम्मच शहद या मिश्री मिलाकर उसका सेवन लगातार किया जाएं, तो खूनी बवासीर में बेहद लाभ मिलेगा।
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के अनुसार ये भी कहां गया हैं, कि कुटज का सीमित मात्रा में सेवन ज्यादातर लोगों के लिए सुरक्षित है। लेकिन कुटज का अनेक परिस्थितियों में इसका इस्तेमाल करने से परहेज करना चाहिए, जैसे कि प्रेग्नेंट और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये दोनों ही स्थिति बहुत नाजुक होती हैं। अपने डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी हर्ब का सेवन मां और बच्चे के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
वहीं अगर आप किसी भी तरह की दवा का सेवन करते हैं, तो डॉक्टर की सलाह से ही इसका सेवन करें। कुटज का सेवन दवा के साथ इंटरैक्ट कर सकता है। जिससे आपको फायदे की जगह साइड इफेक्ट हो सकता है। इसी के साथ अगर आपको किसी भी तरह की कोई मेडिकल कंडिशन होती हैं, तो भी इससे परहेज करें। दवाओं की तुलना में हर्ब्स को लेकर रेग्युलेटरी नियम अधिक सख्त नही हैं। इनकी सुरक्षा का आंकलन करने के लिए अतिरिक्त रिसर्च की आवश्यकता है।
छतीसगढ़ के दुर्ग भिलाई कोहका में पिछले 8 वर्षो से प्रेक्ट्सि कर रहे आयुर्वेदा एक्सपर्ट बीएएमएस डॉ. मनीष बंजारे आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी-बूटियां हैं, जिससे सोराइसिस, खराश खुजली और जलन के साथ ही अनेकों बिमारियों को जड़ से खत्म किया सकता है। लेकिन अगर बात करें, दुनियाभर में होने वाले सोराइसिस से ग्रस्ति मरीजों की तो एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्वभर में सोराइसिस रोग से तीन फीसदी आबादी यानी करीब 12.50 करोड़ लोग प्रभावित है।
Ayurvedic Herb – कुटज आयुर्वेद में एक बेहद ही असरकारक जड़ी-बूटी हैं, जिससे अनेकों बिमारियों के ईलाज में ईस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ. मनीष बंजारे ने कहा कि सोराइसिस को अक्सर स्किन इंफेक्शन या कॉस्मेटिक प्रॉब्लम माना जाता है, जिसका आसानी से इलाज हो सकता है, लेकिन सोराइसिस इसके बिल्कुल उलट है।
छतीसगढ़ के दुर्ग भिलाई कोहका में पिछले 8 वर्षो से प्रेक्ट्सि कर रहे बीएएमएस आयुर्वेदा एक्सपर्ट डॉ. मनीष बंजारे बताते हैं, कि कई आयुर्वेदिक दवां सोराइसिस में लाभदायिक हैं, लेकिन Rajasthan Aushdhalaya का ENDSORA CAPSULE और ENDSORA OIL प्रेक्ट्सि के दौरान दाद, खुजली, जलन, खराश और सोराइसिस से संबंधित मरीजों पर ईस्तेमाल किया जिसका परिणाम बेहद असरकारक रहा है।
डॉ. बंजारे का मानना हैं, कि कुटज जैसी महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियों के समावेश से ऐण्डसोरा कैप्सूल और ऑयल का निर्माण किया गया हैं, जिससे सोराइसिस जैसे रोगों से राहत पाई जा सकती है। दरअसल, सोराइसिस रोग तभी होता है, जब रोग प्रतिरोधक तंत्रा स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करता है, इससे त्वचा की कई कोशिकाएं बढ़ जाती है, जिससे त्वचा पर सूखे और कड़े चकत्ते बन जाते हैं, क्योंकि त्वचा की कोशिकाएं त्वचा की सतह पर बन जाती है। त्वचा पर पड़ने वाले इन्हीं चकते को ऐंडसोरा कैप्सूल और ऑयल के माध्यम से दूर किया जा सकता है।
आयुर्वेदा एक्सपर्ट बीएएमएस डॉ. मनीष बताते हैं, कि त्वचा पर होने वाले अन्य रोगों से अलग सोराइसिस नाम का रोग अति सक्रिय प्रतिरोधक प्रणाली से होता है, जिसमें शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली ही स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों पर हमला करती है। सोराइसिस के सामान्य लक्षणों में शरीर के प्रभावित सामान्य अंगों पर खुजली आना शुरू हो जाता है। त्वचा पर पपड़ी जैसी ऊपरी परत जम जाती है। शरीर में लाल-लाल धब्बे और चकत्ते हो जाते हैं. सोराइसिस के इन्हीं लक्षणों को गंभीरता से लेंवे और ऐंन्डसोरा कैप्सूल का ईस्तेमाल करें, जिसमें कुटज, गुडुची, चौपचीनी, नीम जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का समावेश किया गया है। जिससे सोराइसिस काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
आयुर्वेदा एक्सपर्ट बीएएमएस डॉ. शितल गोसावी का कहना है कि सोराइसिस के लक्षणों को हम अपने समाज में गंभीरता से नहीं लेते. बीमारी को नजर अंदाज करने और सोराइसिस रोग के संबंध में जागरूकता की कमी से समय पर रोग का पता नहीं चल पाता और इस बीमारी के इलाज में काफी रुकावट आती है।
ENDSORA OIL को खुजली, लाल चकते और जलन वाले जख्मों पर लगाने से इन बिमारियों से काफी हद तक राहत पा सकते है। डॉ. गोसावी ने अपने सुझाव में कहा हैं, कि सोराइसिस के लक्षणों के प्रति जागरूक रहना बहुत आवश्यक है, और इसके कुछ खास लक्षणों को देखकर रोग के इलाज की प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए।
आयुर्वेद में Ayurvedic Herb – कुटज एक ऐसी जड़ी-बूटी हैं, जिस पर शोध के अनुसार खुजली, खराश और जलन से राहत पाई जा सकती हैं, उसी गुणवत्तापूर्ण कुटज औषधी के ईस्तेमाल से Rajasthan Aushdhalaya Pvt. Ltd. की आयुर्वेदिक दवां ENDSORA OIL त्वचा और शरीर पर होने पड़ने वाले चकते से राहत देने में मददगार साबित होता है।
नोट – इस लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है, और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें। कुटज का इस्तेमाल सालों से बीमारियों के इलाज के लिए किया जा रहा है। आयुर्वेद में इसके गुणों का वर्णन है। फिलहाल इसे लेकर अधिक शोध करने की जरूरत है। कुटज से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए अपने हर्बलिस्ट या डॉक्टर से सलाह लेंवे।
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Rajasthan Aushadhalya :--
Endsora cap
Endsora oil
Restofang pawdar+ cap
Liv - 300 syp
को -चमॅरोग- चमॅ सोराइसिस,
दाद , खाज , एक्जिमा मैं 10 वषों से
रोगियों पर प्रयोग करते है , काफी लाभ --हद्द
से जायदा प्रसंसा हुई है । मै इस कम्पनी का
अभारी हैं ।
जय आयुर्वेद ,जय- जयकार हो इस कम्पनी
का ।