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Dengue Fever : मॉनसून में डेंगू का खतरा, आयुर्वेदिक दवां से राहत

मुंबई। (एस.ए.भाटी) : Dengue Fever : इस समय मानसून जौरो पर हैं, देशभर के अधिकतर हिस्से में भारी बारिश हो रही है, खासकर पश्चिमी भारत में मानसून का स्तर अधिक है। मानसून के दौरान अक्सर देखा जाता हैं, कि डेंगू, मलेरियां जैसी बिमारियां आम हो जाती हैं, जिसका मुख्य कारण होता हैं, भारी बारिश के दौरान अनेकों स्थानों पर इक्कठे होने वाले पानी से पैदा होने वाले मच्छरों के काटने से डेंगू, मलेरियां, बुखार, चिकनगुनियां जैसी बिमारियां सामने आती है।

आपको बता दें कि, भारत समेत दुनियाभर के ज्यादातर देश मच्छर और इससे होने वाली बीमारियों से परेशान हैं। मच्छर जनित बीमारियों (Mosquito Borne Diseases) में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया आदि रोग सबसे आम हैं। मच्छर के काटने से होने वाली ये बीमारियां बेहद खतरनाक और जानलेवा हैं।

Dengue Fever : मॉनसून में डेंगू का खतरा

क्या बताते हैं, National Center for Vector Borne Diseases Control के आंकड़े

राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र के मुताबिक भारत में पिछले वर्षों के मुताबिक डेंगू के मामलों की संख्या अधिक दर्ज की गई है, एक्सपर्ट के अनुसार 2021 में 193 से 245 तक डेंगू से ग्रस्ति पाएं जाने वालें व्यक्तियों का आंकड़ा मापा गया था। जैसा कि देखां जाता हैं, कि ऐसे क्षेत्र जहां पानी का ठहराव अधिक होता हैं, वहां डेंगू, मलेरियां का प्रकोप अधिक होता है, इसके बारे में डॉक्टर्स कहते हैं, कि पानी भराव वाले क्षेत्रों में डेंगू के अधिक होने की संभावना हो जाती है।

कैसे असर करता हैं, डेंगू

इंटरनेशनल आयुर्वेदा कंसलटेंट बीएएमएस एमडी आयुर्वेदा एक्सपर्ट डॉ. श्रीवानी उप्परपेली के अनुसार जब कोई डेंगू वायरस से संक्रमित मच्छर काटता हैं, तो वायरस रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाता है। प्रवेश करते ही यह प्लेटलेट्स को एक तरह से बांधने लगता है, और फिर वायरस पूरे शरीर में प्रसारित होने लगता है। संक्रमित प्लेटलेट कोशिकाएं सामान्य प्लेटलेट्स को नष्ट कर देती हैं, जो डेंगू बुखार में प्लेटलेट काउंट में गिरावट के प्रमुख कारणों में से एक है।


डेंगू होने के लक्षण – डेंगू के कारण तेज बुखार का आना, सिरदर्द होना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द का होना, डेंगू में शरीर की प्लेटलेट्स का तेजी से गिरना जैसे लक्षण डेंगू के कारण होते हैं, वहीं डेंगू में तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, दाने और थकान महसूस होती है। कई मामले ऐसे भी देखें गये हैं, जिसमें यह बहुत ज्याया गंभीर होता है, जिसे डेंगू रक्तस्रावी बुखार (Dengue hemorrhagic fever) के रूप में जाना जाता है, जिसमें जान जाने का खतरा अधिक रहता है।

डॉ. श्रीवानी कहती हैं, कि डेंगू बुखार (Dengue Fever) एक मच्छर जनित गंम्भीर रोग है, जो डेंगू वायरस के कारण होता है। आमतौर पर वायरस संक्रमण के दो से चौदह दिनों के बाद डेंगू के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जिसमें तेज बुखार का आना, मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन, सिरदर्द, ज्वाइंट पेन और त्वचा पर चकत्ते पड़ना आदि लक्षण शामिल हैं। विशेषज्ञ आयुर्वेदा एक्सपर्ट डॉ. उप्परपेली के अनुसार डेंगू होने पर इंसान के शरीर में प्लेटलेट्स कम (Platelets Count in Dengue Fever) होने लगता है। जो कभी-कभी जानलेवा भी साबित होता है।

इस तरह शुरू होता हैं, डेंगू का असर –

डॉ. उप्परपेली ने बताया कि Dengue Fever के लक्षण, जो आमतौर पर संक्रमण के चार से छह दिन बाद शुरू होते हैं, और 10 दिनों तक रहते हैं, अचानक तेज बुखार (105 डिग्री) तक आना, गंभीर सिरदर्द का होना, आँखों के पीछे दर्द का होना, गंभीर जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, थकान, जी मिचलाना, उल्टी आना, दस्त होना, त्वचा पर लाल चकत्ते, हल्का रक्तस्राव (जैसे नाक से खून बहना, मसूड़ों से खून आना, या आसान चोट लगना), कभी-कभी डेंगू बुखार के लक्षण हल्के होते हैं, और यह फ्लू या अन्य वायरल संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं। छोटे बच्चों और जिन लोगों को पहले कभी संक्रमण नहीं हुआ है, उनमें बड़े बच्चों और वयस्कों की तुलना में हल्के मामले होते हैं। हालांकि, उनमें गंभीर समस्याएं विकसित हो सकती हैं, इनमें विशेषतौर पर डेंगू रक्तस्रावी बुखार, तेज बुखार, लसीका और रक्त वाहिकाओं को नुकसान, नाक और मसूड़ों से खून बहना जैसी दुर्लभ जटिलताएं शामिल है। लक्षण बड़े पैमाने पर रक्तस्राव, सदमा और मृत्यु में बदल सकते हैं।

सामान्य व्यक्ति में कितना होना चाहिए प्लेटलेट्स – (Normal Platelet Count)

डॉ. उप्परपेली डॉक्टर्स के अनुसार एक सामान्य व्यक्ति के प्रति माइक्रोलीटर ब्लड़ में 150,000 और 250,000 के बीच प्लेटलेट काउंट होता है। जबकि, डेंगू से पीडि़त लगभग 80 से 90 प्रतिशत रोगियों का प्लेटलेट लेवल 100,000 से कम होगा, जबकि 10 से 20 प्रतिशत गंभीर रोगियों में प्लेटलेट 20,000 या उससे कम पाया जाता है।

डेंगू बुखार में क्यों कम हो जाता है, प्लेटलेट्स

Platelet count – एमडी आयुर्वेदा डॉ. श्रीवानी उप्परपेली की माने तो शरीर में प्लेटलेट्स काउंट्स व्यक्ति के स्वास्थ्य को गम्भीर तरीके से प्रभावित कर सकते हैं। डेंगू जैसी बीमारियों में जब प्लेटलेट्स काउंट्स गिरने लगती हैं, तो (Decreasing Platelet Count) तो इस तरह की स्थिति बेहद ही चिंताजनक मानी जाती है।

Platelet Count बढ़ाने के आयुर्वेदिक घरेलू उपाय

डेंगू से बचने के उपाय – डेंगू के शुरूआती सोर्स एडीज में मच्छर रुके हुए पानी में पनपते हैं. जैसे कि गंदा नाला, रूकी हुइ पाईप लाईने, घरों में भरने वाले पानी, उन स्थानों को खत्म करें और रुके हुए पानी को तुरंत साफ करें. मच्छरों के पैदा होने वाले स्थानों को साथ सुथरा रखें, साथ ही नाली और गंदे पानी वाले पाइपों की भी सफाई करें।
फुल स्लीव्स कपड़े पहनें – पानी भराव वाले क्षेत्रों के पास रहने वाले व्यक्तियों को अपने बच्चों के साथ लंबी बाजू वाली शर्ट, लंबी पैंट, मोजे पहनें. वहीं हल्के रंग के कपड़े भी मच्छरों को रोकने में मदद कर सकते है।
कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करें – खुली त्वचा पर मच्छर भगाने वाली क्रीम लगाने से मच्छर के काटने की संभावना काफी कम हो सकती है, अगर आपके एरिया या घर में मच्छर अधिक हैं, तो मच्छर से बचाने वाली क्रीम का उपयोग करें, ध्यान रखें कि उनमें मच्छरों को भगाने वाला कैमिकल, पिकारिडिन, सिट्रोनेला और नींबू नीलगिरी का तेल जरूर शामिल हों।
खिड़की दरवाजे बंद रखें – मच्छरों को घर में जाने से रोकने के लिए खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें, साथ ही मच्छरदानी का उपयोग करें. ये मच्छर से बचाने के लिए सबसे अच्छा उपाय हो सकते हैं. इसके अलावा, घर के अंदर ठंडा वातावरण बनाए रखने के लिए पंखे या एयर कंडीशनिंग का उपयोग करें। क्योंकि ठंडे मौसम में मच्छरों की गतिविधि कम हो जाती है।
बाहर जाने से बचें – शाम के समय जब मच्छर अधिक एक्टिव होते हैं, तब बाहर या जिस एरिया में पानी भरा हुआ हैं, उन क्षेत्रों में जाने से बचें, अगर जरूरत है, तो फुल स्लीव्स कपड़े पहनकर और मच्छर से बचाने वाली क्रीम लगाकर ही जाएं।
डॉक्टर्स से तुरंत सलाह लेंवे – आपके घर में किसी को तेज बुखार, सिरदर्द या लगातार उल्टी हो रही है, तो वह डेंगू के लक्षण हो सकते हैं. ऐसे में डेंगू को गंभीर रूप से बढ़ने से रोकने के लिए डॉक्टर की मदद लेंवे।

डेंगू बुखार में प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के आयुर्वेदिक नुस्खे –

करिका पपाया – डॉ. श्रीवानी उप्परपेली ने बताया कि केरिका पपाया का ज्यूस एक ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटिंयों में से आते हैं, जिसके सेवन से आँतो के सभी रोग और इन्फेक्शन ठीक हो जाते है, इसके अलावा केरिका पपाया के सेवन से अपच, गैस बनना, कब्ज जैसे भी रोग जड़ से ठीक हो जाते है। उन्होंने बताया कि बच्चों और बड़ो के पेट के कीड़े खत्म होना, कब्ज से राहत, इम्यून सिस्टम को मजबूती, सर्दी, खाँसी, जुकाम, दाँत और मसूड़ो के दर्द में आराम, आँतो के रोगों का ठीक होना, शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मदद, सीने में होने वाले दर्द, पीठ में होने वाले दर्द और कंधों में होने वाले दर्द को ठीक करने में आसानी से मदद करता है। वहीं डेंगू, मलेरियां से लड़ने में पपाया का ज्यूस बेहद असरदार होता है। Dengue Fever से पीडि़त को पपीते का रस पिलाने से प्लेटलेट और बुखार से बेहद आराम मिलता है।

गुडुची (Guduchi) – डॉ. श्रीवानी ने बताया कि गुडुची पुराना बुखार में बेहद असरकारक होता हैं, जो कि भूख और ऊर्जा को बढ़ाने, सुगर को कंट्रोल करने, हेपेटाइटिस और पीलिया में मदद करने, पाचन से संबंधित रोगों का ईलाज करने, कोलाइटिस, भूख की कमी, पेट दर्द को दूर करने में मुख्य रोल अदा करता है।

गिलोय का काढ़ा असरकारक – Dengue Fever में प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के लिए गिलोय एक बेहतरीन औषधी है। गिलोय का काढ़ा पीकर प्लेटलेट को आसानी से बढ़ाया जा सकता है। एक्सपर्ट इसके बारे में बताते हैं, कि इससे सर्वाधिक बेहतर परिणाम आएं है।

Rajasthan Aushdhalaya का Plate Plus Capsule और Plate Plus Syrup डेंगू, मलेरिया से लड़ने में करता हैं, मदद

इंटरनेशनल आयुर्वेदा कंसलटेंट बीएएमएस एमडी आयुर्वेदा डॉ.श्रीवानी उप्परपेली ने बताया कि राजस्थान औषधालय (आरएपीएल ग्रूप) के परिणाम और लाभदायिक प्रोडक्ट Plate Plus Capsule और Plate Plus Syrup से डेंगू, चिकनगुनियां, प्लेटलेट्स से राहत मिलती है। उन्होंने बताया कि इस दवां के ईस्तेमाल से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैं, और ये संक्रमण से लड़ने में अहम भूमिका निभाता है। वहीं प्लेटलेट के लेवल को बढ़ाने में बेहद ही असरकारक है। प्रैक्टिस के दौरान काफी मरीजों को डेंगू, मलेरियां, बुखार की समस्याओं के समय सेवन किया हैं, जिसमें उनको बेहतर परिणाम मिले है। डॉ. उप्परपेली के अनुसार प्लेट प्लस कैप्सूल या सिरप बुखार, डेंगू, मलेरियां से लड़ता हैं, इम्यूनिटी को बढ़ाने और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है, प्लेट प्लस कैप्सूल प्लेट प्लस सिरप में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां शामिल हैं, जिसमें पपीते की पत्ती का अर्क, गुडूची, अमलकी, सुदर्शन, अरोग्यवर्धिनी, और नीम जैसे शक्तिशाली तत्वों का समावेश किया है।

Plate Plus Capsule – Freedom from Dengue & Malaria !!

Plate Plus Capsule स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक और सुरक्षित दवां हैं, जिसमें नेचुरल तत्वों के अवयवों का ईस्तेमाल करते हुए सावधानीपूर्वक तैयार किया गया फॉर्मूला है। Plate Plus Capsule और Plate Plus syrup बिना किसी हानिकारक दुष्प्रभाव से रहित दवां हैं, बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण चाहने वाले व्यक्तियों के लिए एक सुरक्षित और विश्वसनीय समाधान के रूप में प्लेट प्लस सिरप और कैप्सूल है, जिसमें डेंगू, मलेरिया और अन्य वायरल बुखार में पाए जाने वाले कम प्लेटलेट काउंट को कंट्रोल करने की शक्ति है।

नोट – इस लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है, और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

Author

  • Mr. Sajid Bhati currently works at Rajasthan Aushadhalaya Pvt. Ltd. as a Public Relations Officer and Health Journalist. During his ten-year career, he has contributed to the company's mission of Addiction Free India and Disease Free India through writing and promotion. Spreading the great work of Rajasthan Aushadhalaya throughout India through passionate media coverage of all free medical health check-up camps held in villages, districts, and cities. He has a postgraduate degree in arts and journalism, as well as extensive understanding of digital marketing. His areas of expertise in writing include Ayurveda, Health, and related subjects. He promotes awareness of ayurvedic treatments and medicines by sharing his deep understanding and knowledge of Ayurveda through seminars, workshops, and other activities.

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Sajid Bhati (P.R.O)

As a dedicated Public Relation Officer of Rajasthan Aushdhalaya, With a deep understanding of the ancient texts and principles that guide this practice, I have helped countless patients achieve optimal health and wellness. My expertise in herbal remedies, massage techniques, and dietary recommendations has been honed over years of study and practical experience, and I am committed to sharing this knowledge with others. In addition to my work as a pro, I am also passionate about community outreach and education. Through seminars, workshops, and other events, I strive to promote awareness of the benefits of Ayurvedic medicine and help people incorporate these practices into their daily lives. I am proud to be part of the Rajasthan Aushdhalaya team, and look forward to continuing to serve our patients and community with excellence and compassion.

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